पृथ्वी का अलंकार मनुष्य है, मनुष्य का अलंकार लक्ष्मी है।
लक्ष्मी का अलंकार दान है, दान का अलंकार सुपात्र है।।
वर्तमान व प्रस्तावित गतिविधियों की पूर्ति हेतु आप निम्नानुसार सहायता देकर सहयोगी बन सकते हैः-
1. प्रस्तावित भोजनषाला हेतु सहायता उपलब्ध कराकर
2. संस्थान के सहयोगी बनकरः-
आश्रय गौरव - 101000/-
आश्रय रत्न - 51000/-
आश्रय स्तम्भ - 21000/-
आश्रय मित्र - 11000/-
सेवा प्रति दिन - 10/-
(मासिक/वार्षिक)
3. भोजन व्यवस्था हेतुः-
(जन्मदिन, षादी की सालगिरह, पुण्य तिथि एवं भावनानुसार)
एक समय का सादा भोजन - 500/-
एक समय का निष्चित तिथि पर प्रतिवर्ष भोजन (आजीवन) - 5100/-
एक समय का निष्चित तिथि पर प्रतिवर्ष भोजन व भोजनषाला में चित्र (आजीवन) - 11000/-
4. समय-समय पर आप द्वारा अवलोकन व मार्गदर्षन देकर
अभी तक संस्था प्रगति में सभी सदस्यों के निजी आर्थिक सहयोग से जमीन क्रय की है। तत्पष्चात षिलान्यास समारोह का भव्य आयोजन कर दान दाताओं से सहयोग अपील की, जिनके अटूट विष्वास व आर्थिक सहयोग से यह भव्य भवन का निर्माण संभव हुआ है। अभी भी भवन की सुन्दरता में धन का बराबर संकट होने से चार चाँद नहीं लग पा रहे है। परन्तु सदस्यों का विष्वास अडीग है।, जिससे मंजिल पाने हेतु लगातार प्रयासरत है।
नोट:- आश्रम पर ताजा फल के अतिरिक्त कोई भी सामग्री स्वीकार्य नहीं है।
प्रार्थना:- तन-मन-धन से सहयोग प्रदान करें व अन्य जनों से भी सहयोग दिलावें। आयकर अधिनियम के तहत धारा 80(G) में छूट उपलब्ध है।
लक्ष्मी का अलंकार दान है, दान का अलंकार सुपात्र है।।
वर्तमान व प्रस्तावित गतिविधियों की पूर्ति हेतु आप निम्नानुसार सहायता देकर सहयोगी बन सकते हैः-
1. प्रस्तावित भोजनषाला हेतु सहायता उपलब्ध कराकर
2. संस्थान के सहयोगी बनकरः-
आश्रय गौरव - 101000/-
आश्रय रत्न - 51000/-
आश्रय स्तम्भ - 21000/-
आश्रय मित्र - 11000/-
सेवा प्रति दिन - 10/-
(मासिक/वार्षिक)
3. भोजन व्यवस्था हेतुः-
(जन्मदिन, षादी की सालगिरह, पुण्य तिथि एवं भावनानुसार)
एक समय का सादा भोजन - 500/-
एक समय का निष्चित तिथि पर प्रतिवर्ष भोजन (आजीवन) - 5100/-
एक समय का निष्चित तिथि पर प्रतिवर्ष भोजन व भोजनषाला में चित्र (आजीवन) - 11000/-
4. समय-समय पर आप द्वारा अवलोकन व मार्गदर्षन देकर
अभी तक संस्था प्रगति में सभी सदस्यों के निजी आर्थिक सहयोग से जमीन क्रय की है। तत्पष्चात षिलान्यास समारोह का भव्य आयोजन कर दान दाताओं से सहयोग अपील की, जिनके अटूट विष्वास व आर्थिक सहयोग से यह भव्य भवन का निर्माण संभव हुआ है। अभी भी भवन की सुन्दरता में धन का बराबर संकट होने से चार चाँद नहीं लग पा रहे है। परन्तु सदस्यों का विष्वास अडीग है।, जिससे मंजिल पाने हेतु लगातार प्रयासरत है।
नोट:- आश्रम पर ताजा फल के अतिरिक्त कोई भी सामग्री स्वीकार्य नहीं है।
प्रार्थना:- तन-मन-धन से सहयोग प्रदान करें व अन्य जनों से भी सहयोग दिलावें। आयकर अधिनियम के तहत धारा 80(G) में छूट उपलब्ध है।
You were doing incredible work for our society. Really thank you.
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